Wednesday, August 20, 2008

संत मत

भगवान को सभी देखना चाहते हैं मिलना चाहते हैं पर कोई भी ये नहीं जानना चाहता है की भगवान किसको प्यार करते हैं किनसे मिलना चाहते हैं ये रहस्य भगवान ने स्पष्टशब्दों में गीता के अध्याय बारह भक्तियोग में कहा हैं

सरल शब्दों में यदि ये कहें की जो किसी भी परिस्थी मं भगवान को नै भूलता हैं जो किसी का शत्रु नहीं जो सुख दुःख में समभाव रखता हैं वो भगवान का प्यारा हैं जैसे भक्त प्रह्लाद ,ध्रुब महाराज ,सबरी व्रज की गोपियाँ इन के प्रेम में बंधे चले आए थे भगवान और प्रेम वश जूठेबेर खाए प्रेम वश थोड़े से माखन के लिए व्रज के गलियों में गोपियों के इशारे पे नाचते फिरे विदुर जी के घर केले के छिलके खाए त्रिलोकी नाथ को प्रेम के बंधन में बंधना आसान हैं जो अपने जीवन का केन्द्र भगवान को बना लेते हैं उनको भगवान देखते हैं प्यार करते हैं











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