Tuesday, August 19, 2008

गीता दर्शन
दिरिस्त्त्वा तु पन्द्वानिक ब्युद्रहम दुर्युधन स्तदा, आचैर्य्मुपसंगम्य राजा वाचंम्वार्वित शलोक 1
संजय:उवाच -संजय ने कहा ,दिरिस्त्वा -देखकर ,तु-लेकिन ,पांडव -अनीकं -पांडवों की सेना को -ब्युरहम -ब्य्ह्राचना को ,दुर्युधन :-राजा दुर्युधन ने ,तदा -उस समय ,आचार्यम -गुरु के ,उपसंगम्य -पास जाकर ,राजा वचनम -राजा के शब्द ,अब्रवीत -कहा
अर्थ -संजय ने कहा -हे राजन !पान्दुपुत्रों द्वारा सेना की ब्युःरचना देखकर राजा दुर्युधन अपने गुरु के पास गया और उसने ये शब्द कहे













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